Tuesday, 4 March 2008

फिर क्यों मन मचलता-हिंदी शायरी

कभी मन उदास हो कर
कहीं चले जाने को करता
कहीं और जाकर नये दोस्त
ढूँढने के लिए मचलता
पर यह है उसकी चंचलता

जो सच यहाँ है
वही वहाँ भी है
धोखे और वफ़ा तो कहीं भी हो सकते
जगह बदलने से हालात नही बदल सकते
सच जानते हुए भी मन क्यों मचलता

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