Sunday, 2 March 2008

दीवारों पर लिखे सत्य पढे नहीं है-हिंदी शायरी

रिश्तों में अब कोई दरार नही है
क्योंकि अब लोगों के दिलों में अब
उनके लिए कोई जगह बची नहीं है

भाई और भाई के बीच
अब कोई दीवार नहीं खड़ी नही रह सकती
क्योंकि रिश्ता रह गया है
जैसे हवा में लटकी तख्ती
नफ़रत जैसी कोई बात नहीं है
क्योंकि समय के कमी की वजह से
कभी प्यार शुरू हुआ ही नहीं है

इधर-उधर लोग उन रिश्तों की
शिकायत करते नजर आते
जो कभी शुरू ही नहीं हो पाते
कहने वाले कहते हैं कि
जो चूल्हे के पास वही होता है दिल में
चूल्हे बनवा दिए जिनके अलग
फिर उनका इन्तजार क्यों करते हैं
शायद उन्होने इतिहास की
दीवारों पर लिखे सत्य पढे नहीं हैं
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