Tuesday, 11 March 2008

मामला दहेज़ का है-हिंदी शायरी

क्या वह दिन गए जब
कहा जाता था कि
माता-पिता भगवान् होते हैं
अब तो ऐसा लगता है सबके लिए
बच्चे एक तरह से सजावटी पकवान होते हैं
बेटी को तो गिरा देते हैं गर्भ में ही
जवान बेटे की शादी में भी
चाहते हैं ढेर सारा दहेज़
कर देते हैं उसे बूढा
उसकी ख्वाहिशों का करते हैं कत्ल
तीस की उम्र पार कर भी उनके बेटे
उनकी नजर में गबरू जवान होते हैं
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दहेज़ की लालच में
नहीं कराते माता-पिता
अपने लड़के की नहीं कराते शादी
उम्र निकलती जाती हैं
माँ-बाप की नजर रहती है माल पर
बेटा इधर-उधर नजरें मारता है
कहीं कहीं करता छेड़छाड़
कहीं करता मारधाड़
कहीं जख्म करता कहीं पाता
करता समाज और अपनी बर्बादी
मामला केवल दहेज़ का ही है
मिले तो, ठीक नहीं तो
निष्ठुर माता-पिता नहीं करते लड़के की शादी
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