Saturday, 22 March 2008

आदमी के मिजाज नहीं बदलते-हिंदी शायरी

बहार के मौसम में
पेडों पर पते चले आते
और पतझड़ में बिछड़ जाते हैं
कभी पेडों को पते आने पर
खुश होते नहीं देखा
उनके बिछड़ने पर रोते नहीं देखा
पर इंसानों की आदत हैं
हर मौसम में रोना
इसलिए उसकी जिन्दगी में
हमेशा पतझड़ ही देख पाते हैं
जिनके यहाँ आता है बसंत
वह भी उसे छिपाते हैं
भय के साथ सोता
आशंकाओं के साथ उठता इंसान
इसलिए कभी खुश नहीं देख पाते हैं
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मौसम की तरह
जिन्दगी के दौर भी बदलते हैं
पर इंसान के ख्यालों में
कभी नहीं आता बदलाव
इसलिए उसकी जिन्दगी के
मिजाज कभी नहीं बदलते हैं
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2 comments:

सुनीता शानू said...

होली आपको बहुत-बहुत मुबारक हो

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया रचना है।

आप को होली की बहुत-बहुत बधाई।