Friday 29 February, 2008

हाथी उत्पात मचा रहे हैं-हिंदी शायरी

जंगल में भोले भाले हाथी
इसलिए उत्पात मचा रहे हैं
क्योंकि उनके घरों को
सफ़ेद हाथी छोटा बना रहे हैं
सदियों से रहते आये मनुष्यों के साथ
अपने भोजन को लुटता तो देख पाते
पर चर जाते सफ़ेद हाथी उसे
वह दृष्टि पथ में नहीं आते
जंगली हाथी उसे ढूँढने के लिए ही
आ रहे हैं जंगलों से बाहर आ रहे हैं
''आज ख़तरा है हमें
कल तुम भी आओगे इसके दायरे में''
आदमी पर हमला कर यह बता रहे हैं
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1 comment:

ghughutibasuti said...

बहुत सही कह रहे हैं ।
घुघूती बासूती