Wednesday, 27 February 2008

खाने-खिलाने का चक्कर आदमी को बना देता है कोल्हू का बैल-हिन्दी शायरी

पल भर की खुशी के लिए
पूरी जिन्दगी दाव पर लगा देते हैं
देना है जन्मदिन, शादी और तेरहवीं पर
लोगों को खाने की दावत
जिनका खाया है उनसे न हो अदावत
इस सोच में
जिन्दगी के खूबसूरत पल गँवा देते हैं
खाने-खिलाने के चक्कर
आदमी को कोल्हू का बैल बना देते हैं
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प्यार है तो बहानों की क्या जरूरत
व्यापार है तो शर्माने की क्या जरूरत
संकोच के साथ जीवन नहीं चलता
खेल हो या जंग
डरने वालों से काम नहीं बनता
बदलाव के लिए होती बहादुरी की जरूरत

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