विश्वास टूटता कहाँ है
जो टूटता वह विश्वास कहाँ है
देने वाले ने काम के लिए दो हाथ
चलने के लिए दो पाँव
देखने के लिए आँखें
सुनने के लिए कान
सांस लेने के लिए नाक
विचार के लिए दी अक्ल
पर आदमी में विश्वास कहाँ है
आदमी अपने हाथ पेट पर लगाए बैठा रहता
पाँव उसी तरफ झुकाए
सुनता केवल उसके स्वर
सूंघता केवल अन्दर से नाक की तरफ
आती हुए भोजन की खुशबू
सोचता रहता पर रोटी भरने के लिए
फुरसत पाए तो सुस्ताते हुए जपता नाम
ढोल और शंख बजाकर चीखता
पर आदमी में विश्वास कहाँ है
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खुशी हो या गम-हिंदी शायरी
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*अपनी धुन में चला जा रहा थाअपने ही सुर में गा रहा थाउसने कहा‘तुम बहुत अच्छा
गाते होशायद जिंदगी में बहुत दर्दसहते जाते होपर यह पुराने फिल्म...
16 years ago
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