एक कंपनी से हुए आजाद
पर फिर आ रहा है कंपनी राज
पहले तो विदेशी थी
चालाकी और छल कपट से आई
और पूरे देश पर छाई
लड़ने के लिए कई बहाने थे
क्योंकि थी पराई
पर कंपनी तो कंपनी ठहरी
अब अपनों के कई भेष धरकर आई
कहाँ और किससे शिकायत करोगे
कैसे करोगे लड़ाई
पहले था उसका नारा
''फ़ुट डालो और करो राज'
पर अब कंपनियों का नारा है
''अपने बनकर, अपनत्व से अपनों पर करो राज'
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कन्याओं की भ्रूण हत्याएं
इसी तरह होती रहीं
और बाजार के बिकने के
नये रिवाज के आने से
तो हो जायेगी प्रलय
बेटे के माँ-बाप अब कैसे
करेंगे अपने लाडले का बखान
कोई भी पूछ सकता है कि
''बताओ बाजार में इसकी
बोली कितनी लगी है
रिजर्व प्राइज कितनी बनी है'
क्या जवाब होगा उनका उस समय
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खुशी हो या गम-हिंदी शायरी
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*अपनी धुन में चला जा रहा थाअपने ही सुर में गा रहा थाउसने कहा‘तुम बहुत अच्छा
गाते होशायद जिंदगी में बहुत दर्दसहते जाते होपर यह पुराने फिल्म...
16 years ago
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