Sunday, 13 April 2008

देखने का होता है अपना-अपना नजरिया-हिंदी शायरी


देखने का होता है
नजरिया अपना-अपना
किसी के लिये कोई चीज हकीकत है
किसी के लिये होती है सपना
कोई कार पर कार बदलता है
कोई पैदल ही चलता
उसके लिए अपनी कार होती है सपना
कोई रहता है ऊंची इमारतों और
चमकदार महलों में
तो कोई ईंट और पत्थर ढोकर
उनका निर्माण कर मजदूर
अपनी झौंपड़ी में रहने चला जाता
उसके लिऐ महल में रहना होता एक सपना
इस जहां में जिसकी नींद अपनी है
और अपनी देह पर भी होता बस
सच के साथ होता है जिनका नाता
वह कभी भी नही देखते सपना
जो कभी नही होता अपना
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हम तो समझते थे उनको अपना
पता न था कि उनकी नजर में गैर हैं हम
अपने दिल का सच बताकर वह
छोड़ कर चलते बने
राह में अकेला खडे रह गए फिर हम
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Saturday, 12 April 2008

दिखावे के लिए अमन का पैगाम-हिंदी शायरी

आदमी देखना चाहता
हर चीज पर लिखा अपना नाम
जिंदगी भर करता इसके लिए काम
अपनी ख्वाहिशें पूरी करने के लिये
कई जगह टेकता अपना मत्था
ले जाता अपने घर के लोगो का जत्था
नख से शिख तक माया का मोह
मूंह में जपता राम
देखें हैं मस्तराम आवारा ने
इस दुनियां में कई लोग
जिम्मा है जो दुनिया बनाने वाले का
सब को अपनी जिंदगी बिताने के लिए
कुछ न कुछ देना सिक्कों के दाम
बंदा उसे समझ लेता अपना काम
एक-दो होता तो हम समझा लेते
यहां तो हर शख्स खुशफहमी में ले रहा
अपनी जिंदगी की सांस
सब मिल जाता है पर
फिर भी मन में रहती कुछ और पाने की फांस
ऐसे ही बिता देता जिंदगी
ऊपर वाले की माला जपता हर कोई
दिखावे के लिये देता अमन का पैगाम
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Saturday, 5 April 2008

जिन्दगी का सच कोई नहीं जानता-हिंदी शायरी

कुछ सवालों के जवाब नहीं होते
कुछ सवाल ही अपने आप में जवाब होते
लाजवाब हैं वह लोग जो
सवालों के जाल से दूर होते
किसी के सवाल को दो जवाब
कुछ का कुछ समझ जाये
तो फिर बवाल मच जाये
न दो जवाब तो भी मुसीबत
ऐसे में बेहतर हैं न किसी की सुने
न किसी को कुछ बताएं
जिन्दगी के कई सवाल ऐसे हैं
जिनके जवाब जो दिए जाते हैं
वह कभी नहीं होते
कुछ वहम तो कुछ धोखे होते
सच कोई नहीं जानता जिदगी का
जो जानते हैं वह सवालों से परे होते
जो देते हैं जवाब वह तो खुद ही भटके होते
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खडा हूँ खामोश इसलिए कि
भीड़ से पूछूंगा कोई सवाल तो
लोग अनाडी समझेंगे
किसी से समझ नहीं मिल सकती
दूंगा किसी के सवाल का जवाब तो
फिर कोई दूसरा सवाल करेंगे
इसलिए ओढ़ ली है खामोशी
मेरे कहने से कोई अपना रास्ता तो
लोग कभी बदलेंगे नहीं
वह तो अपने रास्ते वहमों और धोखे की
खदानों में ढूंढते हुए भटकेंगे
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Wednesday, 2 April 2008

माफ़ करना भाया-हिंदी शायरी

प्रेमी ने लिखा अपनी प्रेमिका को
''भूल जाना मुझको
मेरे दिल में अब किसी और का चेहरा भाया
अब तो तुम्हारी जगह उसका नाम
मेरी जुबान पर आता
नहीं चल सकता तुम्हारे साथ अधिक
हालांकि मैंने अपने दिल को खूब समझाया''

नीचे उसने लिखा
''देखो अप्रैल फूल बनाया''
दूसरे दिन जवाब आया
''तुम्हारे सन्देश से
उड़ गए थे होश हमारे
अप्रैल फूल तो लिखा बाद में
नजर आया
अकेले होने की टेंशन में
अपने वेटिंग में खडे अपने एक
दोस्त को प्रेम सन्देश भिजवाया
अब तो वहाँ से स्वीकृति का सन्देश आया
अब तुम हमें माफ़ करना भाया''
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