Saturday, 5 April 2008

जिन्दगी का सच कोई नहीं जानता-हिंदी शायरी

कुछ सवालों के जवाब नहीं होते
कुछ सवाल ही अपने आप में जवाब होते
लाजवाब हैं वह लोग जो
सवालों के जाल से दूर होते
किसी के सवाल को दो जवाब
कुछ का कुछ समझ जाये
तो फिर बवाल मच जाये
न दो जवाब तो भी मुसीबत
ऐसे में बेहतर हैं न किसी की सुने
न किसी को कुछ बताएं
जिन्दगी के कई सवाल ऐसे हैं
जिनके जवाब जो दिए जाते हैं
वह कभी नहीं होते
कुछ वहम तो कुछ धोखे होते
सच कोई नहीं जानता जिदगी का
जो जानते हैं वह सवालों से परे होते
जो देते हैं जवाब वह तो खुद ही भटके होते
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खडा हूँ खामोश इसलिए कि
भीड़ से पूछूंगा कोई सवाल तो
लोग अनाडी समझेंगे
किसी से समझ नहीं मिल सकती
दूंगा किसी के सवाल का जवाब तो
फिर कोई दूसरा सवाल करेंगे
इसलिए ओढ़ ली है खामोशी
मेरे कहने से कोई अपना रास्ता तो
लोग कभी बदलेंगे नहीं
वह तो अपने रास्ते वहमों और धोखे की
खदानों में ढूंढते हुए भटकेंगे
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