एक प्रेमी से उसके मित्र ने पूछा-‘तुम्हें यकीन है कि तुम्हारी प्रेमिका तुमको सच्चा प्यार करती है?’
उसने कहा-‘हां, इसमें मुझे कोई संदेह नहीं है। वह अब किसी दूसरे को प्यार कर ही नहीं सकती।’
मित्र ने कहा-‘उसे आजमा कर देख लो। तुमने उसे मोबाइल का उपहार दिया है। तुम अपना दूसरा मोबाइल खरीदकर किसी छद्म नाम से प्रेम करके देख लो, और तमाम तरह के उपहार प्रलोभन दिखाओ तब पता चलेगा कि वह वास्तव में तुमसे प्रेम करती है कि नहीं।’
प्रेमी को अपने मित्र का सुझाव पसंद आया। उसने अपने मोबाइल पर छद्म नाम का दूसरा प्रेमी बनने का विचार किया। उसने कुछ दुकानों से उसके घर गिफ्ट भी भिजवाये जिनमें एक दूसरा मोबाइल भी था।
धीरे-धीरे उसने देखा था कि दूसरे मोबाइल से उसके दूसरे नंबर पर फोन अधिक आने लगे और पुराने मोबाइल से वही करता पर आते प्रेमिका ने तो बंद ही कर दिये। एक दिन उसने दूसरे प्रेमी के रूप में उससे पूछा-‘मैंने सुना है कि तुम्हारा कोई दूसरा प्रेमी भी है।’
प्रेमिका ने कहा-‘वह तो टाईम पास है। मैं सच्चा प्रेम तो तुमसे करती हूं। उसने तो मुझे बस एक मोबाइल उपहार में दिया है, तुम तो इतने सारे उपहार देते हो।’
प्रेमी ने कहा-‘पर तुमने मुझे अभी देखा ही नहीं तो कैसे कह सकती हो कि मैं सच्चे प्यार के लायक हूं?’
प्रेमिका ने कहा-‘‘अरे, आजकल किसी की शक्ल सूरत नहीं देखी जाती। बस, आदमी की नीयत देखी जाती है और वह केवल उपहार देने से ही पता लग जाती है।’
प्रेमी ने पूछा-‘‘फिर वह तुम्हारा प्रेमी! उस बिचारे का क्या होगा?
प्रेमिका ने कहा-‘कहां उस कंगाल की बात लेकर बैठ गये। उसको तो मैंने फोन करना ही बंद कर दिया है। उसके मोबाइल में दूसरा सिम डालकर मैंने अपनी बहिन को दे दिया है। उसको मैंने अपने घर का पता भी गलत दिया था। वह अब मुझसे मिल ही नहीं सकता।’
प्रेमी ने पूछा-‘‘तुम्हारा सही पता क्या है?’
प्रेमिका ने कहा-‘पहले मिल लो। जब अच्छी जान पहचान हो जायेगी। तब अपना असली पता दूंगी। मैंने अपने पुराने प्रेमी को ही यह पता इसलिए नहीं दिया कि वह मेरे समझ में नहीं आ रहा था। बड़ी मुश्किल से उसने कहीं से यह पुराना मोबाइल गिफ्ट में दिया था।’
प्रेमी की आंखों में आंसू आ गये। उस बिचारे ने तो नया मोबाइल गिफ्ट में दिया था। वह रोता हुआ अपने उसी मित्र के पास पहुंचा और उसे सारी कहानी सुनाई। मित्र ने कहा-‘अब तुम रो क्यों रहे हो। मैंने कहा था कि तुम धोखा खा रहे हो।‘
प्रेमी ने रोते हुए कहा-‘‘उसने मुझे धोखा दिया। इससे तो धोखे में रहना ही ठीक था। मुझे अपना छद्म नाम रखकर अपनी औकात नहीं देखना चाहिए थी। यह मोबाइल नहीं होता तो मेरी मोहब्बत भी मोबाइल नहीं होती।’
खुशी हो या गम-हिंदी शायरी
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*अपनी धुन में चला जा रहा थाअपने ही सुर में गा रहा थाउसने कहा‘तुम बहुत अच्छा
गाते होशायद जिंदगी में बहुत दर्दसहते जाते होपर यह पुराने फिल्म...
16 years ago
2 comments:
यह व्यंग नही है यही सच्चाई है
sachchayi par puri nahi..sab aise nahi hote.
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